शाब्दिक रूप में “पंचगव्य घृत” का संस्कृत में अर्थ है : {panch – पांच}; {gavya – अवयव या इंग्रेडिएंट} और {घृत – घी}
पंचगव्य घृत एक परम्परागत आयुर्वेदिक दवा है जो गर्दन के ऊपरी भाग, यानि, दिमाग, आँखें, कान, नाक, मुंह और गर्दन आदि के बीमारियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
इतिहास
महर्षि अग्निवेश ने चरक संहिता में मानसिक कमज़ोरी के बारे में और उसको 2 अध्याय में लिखा है, उन्माद और अपस्मार।
उन्माद : मानसिक स्थिति जैसे, कमज़ोरी, दवाब और तनाव।
अपस्मार : गुस्सा, अतिश्योक्ति या बढ़ा चढ़ा कर बोलना, अनियंत्रित भावनाएं और उत्तेजित मानसिक अवस्था।
चरक संहिता ने इन 2 कैटेगरी का बारे में बात की है और मुख्य रूप से घी पर काफी ज़ोर दिया है, और घी के चिकनाई का लाभ इस तरह की बीमारियों या डिसऑर्डर में काफी फायदेमंद है।
घी के बारे में ऐसा अद्भुत क्या है? पढ़ते रहिये……..
वैज्ञानिक रूप से हमारा शरीर और दिमाग blood brain barrier (BBB ) के द्वारा अलग अलग है। शरीर के अन्य भागों की तरह दिमाग का दरवाज़ा नाक से होकर जाता है और BBB शरीर के अंदर के भागों को चिकनाईयुक्त रखता है। और घी हमारे शरीर के अंदरूनी भागों को भी स्वस्थ रखता है।
चरक संहिता में एक विशेष तरह के घी के बारे में बताया गया है जिसको पंचगव्य घी कहा जाता है जो दिमाग से सम्बंधित डिसऑर्डर या बीमारियों में बहुत फायदा करता है।
पंचगव्य घी क्या है?
पंचगव्य घृत या पंचगव्य घी दूध, दही, गोमूत्र, गाय के गोबर, तेल और गाय के घी का मिश्रण है। यह घी उन लोगो के लिए अत्यंत लाभकारी है जो दिमागी रूप से बहुत दबाव महसूस करते है, या दिमागी कमज़ोरी का अनुभव करते है या जिनका कार्य में दिमागी फोकस कम रहता है।
पंचगव्य घृत कैसे बनाया जाता है?
इसको बनाने के लिए 5 तरह के पदार्थों का प्रयोग किया जाता है :
1 भाग गाय का घी
1 भाग गोमूत्र
2 भाग गाय के दूध का दही
3 भाग गाय का दूध
1/2 भाग गाय का गोबर
इन सभी को धीमी आंच पर लकड़ी के पात्र में तब तक पकाया जाता है जब तक कि वे सभी वाष्प रूप में परिवर्तित ना हो जाएँ, तब पात्र में सबसे अंत में जो पदार्थ प्राप्त होता है, वही यह घी है।
इस घी को 2 तरह से उपयोग किया जाता है, (1) नाक में डालने के लिए और (2) खाने के लिए।
नाक के ड्राप के लिए पंचगव्य घी के उपयोग
- दिमाग, आँखें और हड्डी के मज़्ज़ा से सम्बंधित रोगो और डिसऑर्डर को दूर करता है
- शरीर में वात पित्त और कफ को संतुलित करता है
- सर्दी-ज़ुकाम, माइग्रेन और साइनस से सम्बंधित रोगो को दूर करता है
- अवसाद या डिप्रेशन, नींद काम आना आदि में काफी लाभकारी है
- दिमाग को ठंडक देता है और मेमोरी को तेज़ करता है
- नर्वस सिस्टम को मज़बूत बनता है
पंचगव्य घी के फायदे
- वात और पित्त वाले शरीर में यह घी अत्यंत फायदेमंद है
- शरीर के कमज़ोरी, कमज़ोर इम्युनिटी और तनाव भरे दिमाग की अवस्था को स्वस्थ रखता है
- शारीरिक कमज़ोरी और थकान को दूर करता है
- वात शरीर वालों के लिए यह वज़न बढ़ाता है
- जोड़ो में दर्द, जोड़ो के समस्याओं और अर्थिरिटिस में बहुत फायदा करता है
- सूखी त्वचा, सूखा गाला और सोरिसिस में फायदा करता है
अन्य दूसरे लाभ
- चूँकि इस घी में गोमूत्र का भाग भी होता है जो शरीर के अंदर के ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकलता है जो किसी लत या ख़राब खाने की वजह से अंदर जमा हो जाते हैं
- खून को शुद्ध करता है और लीवर के फंक्शन को मज़बूत बनता है
- जिनको दिमागी रूप से कोई बीमारी या डिसऑर्डर है वे निसंकोच इस घी का इस्तेमाल कर सकते हैं, और जो अवसाद या डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनके लिए यह रामबाण है और लम्बे समय तक उपयोग करने पर वे डिप्रेस्शन दूर करने वाली टेबलेट से भी छुटकारा पा सकते हैं
- हड्डी के रोगो के लिए भी अत्यंत लाभकारी है
खुराक
पंचगव्य घी को 10 -20 ग्राम रोज़ सुबह गुनगुने पानी के साथ लें या शुद्ध गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं
पंचगव्य घी नाक की ड्राप : सोने के पहले नाक के दोनों भागो में 2 बूंद डालें
किसी भी प्राकृतिक बीमारी के लिए यह घी बहुत फायदेमंद साबित हुआ है
आप यहां पंचगव्य ग्रंथ की खरीदारी कर सकते हैं
2 comments on “आयुर्वेद के अनुसार पंचगव्य घृत के बारे में सम्पूर्ण जानकारी”
Saket kathpal
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Bhushan Bhansali
मुझे पंचगव्य घृत से उपचार संबधी सारी जानकारी अपेक्षित है | कृपया मार्गदर्शन करे |
|| ॐ नमो नारायणाय ||