पंचगव्य आयुर्वेदिक चिकित्सा ने मानव जीवन के सुरक्षा की लिए एक नया आयाम दिया है और वह है, “गोमूत्र चिकित्सा”। गोमूत्र दवा जैसे “Cow Urine Tablet” या गोमूत्र टेबलेट में वो सब तत्व हैं जिससे डायबिटीज से सुरक्षा मिलती है और वेट लॉस या वज़न भी कम किया जा सकता है। शुद्ध हिमालयन गोमूत्र की बहुत सारे लाभ हैं।
हालाँकि, बहुत से आलोचक इस पर कई तरह की प्रश्न करते रहे हैं, और वे इसको बिलकुल झूठ मान कर नकार देते हैं। 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में लिखा गया आयुर्वेदिक ग्रन्थ “सुश्रुत संहिता” ने गोमूत्र को जीवन रक्षक के रूप में इसके उपचार की गुणों को बताया है।
गोमूत्र और दूसरे जानवरों का मूत्र
गोमूत्र और दूसरे जानवरो की मूत्र के बारे में काफी शोध किया गया है और यह पाया है कि सिर्फ गोमूत्र में ही मानव जीवन की उपचार हेतु गुण मौजूद हैं। इसके अलावा इस पर भूतकाल में भी काफी रिसर्च किया गया है और इसके प्रासंगिक प्रमाण भी हैं। गोमूत्र सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में जीवन रक्षक दवाओं की लिए इसका उपयोग किया जाता है।
गोमूत्र की गुण और अवयव या इंग्रेडिएंट
- 95 % पानी, 2 .5 % यूरिया के साथ
- 24 तरह की साल्ट
- हॉर्मोन्स
- आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस
- पोटाश, नाइट्रोजन, मैंगनीज
- सल्फर, फोस्फेट्स, पोटैशियम
- यूरिया, यूरिक एसिड
- एमिनो एसिड, प्रोटीन
- साइटोकिन और लैक्टोस
गोमूत्र के लाभ
गोमूत्र में एंटीमाइक्रोबियल गुण भरपूर मात्रा में हैं। इसमें उपस्थित तत्व जैसे, यूरिया, क्रिएटिनिन, ऑरम हीड्राकसीड, फिनॉल, कैल्शियम और मैंगनीज मानव शरीर के लिया बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसकी माइक्रोबियल शक्ति से कुछ पैथोजन या रोगाणु, जैसे, इ. कोली, साल्मोनेला टायफी, प्रोटियस वुल्गैरिस, स. औरुस, बेसिलस सेरेउस और स्टेफाईलोकॉकस एपिडर्मिडिस आदि नष्ट हो जाते हैं।
इन्फेक्शन को रोकता है
सबसे ज़्यादा समस्या शायद फंगस और बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स की ही है, कुछ माइक्रोब्स इतने होशियार हो गए हैं कि वे उसको रोकने वाली दवाओं का भी उन पर कोई असर नहीं होता, इसका कारण है कि हम इस तरह की दवाओं का बहुत उपयोग कर रहे हैं। एनालिसिस की बाद यह पाया गया है कि गोमूत्र में इतनी शक्ति है कि वह इस तरह के फुंगी और बैक्टीरियल इन्फेक्शन को रोक सकता है और वह भी सिर्फ इसका उपयोग सूरज की रौशनी में करके।
व्यावहारिक फंगीसाइड
यह नीम के पेड़ या उसके पत्तों से ज़्यादा प्रभावी है और यह डेंड्रफ या फ्यास का एक परंपरागत आयुर्वेदिक उपचार भी है। जब बालों में मालसेजिआ ऑर्गैनिस्म का बहुत विकास हो जाता है तो डेंड्रफ पैदा होता है, गोमूत्र इसको रोकने में बहुत सहायक है। इसके अलावा यह और दूसरे फंगी जैसे, अस्पेर्गिल्लुस, रहिजोपुस और अ. नाइजर को रोकने में अत्यंत प्रभावी है।
एंटीसेप्टिक
आपको तब थोड़ा डर ज़रूर लगता होगा जब आपके किसी घाव पर कोई ऐसे क्रीम लगायी जाए जिससे चुभन महसूस होती हो, तो आप निडर गोमूत्र का उपयोग घाव पर कर सकते हैं और यह हाइजेनिक होने के साथ-साथ जर्म फ्री या कीटाणु रहित भी है।
शरीर के अंदर परजीवी या पैरासाइट को रोकना
हमारी आंतो के पैरासाइट के कारण कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे, नाभि का ढीलापन, पेट में दर्द और शरीर में पोषक तत्वों का काम होना। प्रयोगो के आधार पर यह देखा गया है कि इस तरह के गंभीर मेडिकल कारणों के लिए गोमूत्र अत्यंत प्रभावी है।
बायो – एनहांसर
बायो-एनहांसर वो पदार्थ है जिसके कारण किसी दुसरे पदार्थ की उत्पादकता या प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
आयुर्वेद में इस तरह के विचार को “योगवाही” कहा गया है। गोमूत्र वह योगवाही है जो एक बायो-एनहांसर के रूप में कार्य करता है और फंगी, माइक्रोब्स और यहाँ तक कि कैंसर के रोगाणुओं का भी नाश करता है। शुद्ध पवित्र हिमालयन गोमूत्र में “रसायन” तत्व होता है जो बायो-एनहांसर सिस्टम को संतुलित करता है।
कैंसर प्रतिरोधक क्षमता
गोमूत्र में आश्चर्यजनक रूप से कैंसर को रोकने की क्षमता है, जो ऑक्सीडेटिव प्रेशर का नाश करता है और फ्री रेडिकल्स को ढूंढता है। इसके इस गुण के कारण यह कैंसर की रोकथाम के लिए अत्यंत उपयोगी है। वैसे यह कोई गारंटीड कैंसर के दवा नहीं है परन्तु यह कैंसर के भयानक परिणामो से अवश्य बचाती है।
इम्युनिटी बूस्टर
आयुर्वेद के पुराने शास्त्रों में कहा गया है कि आयुर्वेद कि दवाएं परम्परागत, प्राकृतिक हर्ब और खनिज से बनती है जिनमें इतनी ताकत होती है कि वे मानव शरीर की बीमारियों, वायरस और इन्फेक्शन को रोक सकती हैं। यह भी सच है कि गोमूत्र से शरीर की इम्युनिटी 110 % तक बढ़ जाती है।
शुद्ध हिमालयन गोमूत्र से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं। लेकिन आप गोमूत्र लेने के पहले किसी कुशल आयुर्वेदिक स्पेशलिस्ट से अवश्य परामर्श लें।
One comment on “काऊ यूरिन थेरेपी या गोमूत्र चिकित्सा क्या है ? gomutra ke fayde?”
Vivek
Very informative article, cow urine has been in use since ancient time for both revered and health purpose in India.